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मैं तकलीफ में था बोझिल थी आँखें मेरी, एक उम्र के आ

मैं तकलीफ में था
बोझिल थी आँखें मेरी, एक उम्र के आँसुओं को संभाले
चाहा टूट जाऊँ किसी से लिपटकर
सोचा गिरा दूँ आँसू सारे दामन में  किसी के
दर्द लिये भटकता रहा दर-ब-दर 
अपनों के गैरों के
हर चौखट से लौटा बेरूखी लेकर 
हर पल एक हुजुम सा दिखाई देता था 
ढूंढा खोजा कोई भी नहीं 
ठोकर लगी गिर पड़ा 
तकलीफों के मरूस्थल में रिश्तों की मरीचिका लिये दौड़ता रहा 
हर कोई नजर तो आया 
मगर पास जाते ही गुम सा हो गया
ख्याल अब ये हर पल महसूस होता है 
आँखों में रहती है नमी अब भी
मगर दिल मेरा लबों पर हँसी लाकर रोता है। #जीवनअनुभव
मैं तकलीफ में था
बोझिल थी आँखें मेरी, एक उम्र के आँसुओं को संभाले
चाहा टूट जाऊँ किसी से लिपटकर
सोचा गिरा दूँ आँसू सारे दामन में  किसी के
दर्द लिये भटकता रहा दर-ब-दर 
अपनों के गैरों के
हर चौखट से लौटा बेरूखी लेकर 
हर पल एक हुजुम सा दिखाई देता था 
ढूंढा खोजा कोई भी नहीं 
ठोकर लगी गिर पड़ा 
तकलीफों के मरूस्थल में रिश्तों की मरीचिका लिये दौड़ता रहा 
हर कोई नजर तो आया 
मगर पास जाते ही गुम सा हो गया
ख्याल अब ये हर पल महसूस होता है 
आँखों में रहती है नमी अब भी
मगर दिल मेरा लबों पर हँसी लाकर रोता है। #जीवनअनुभव
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