ख्वाहिशों कुछ दिल की यूहीं दबाये रखता हूँ कुछ बोलने का हक तो नहीं मुझे इसलिए खुद को लिखता रहता हूँ मेरे भी थे कुछ ख्वाब जिन्हें अब मैं सपनों में खोजा करता हूँ इन्द्र राजपूत ✍✍ #Kuch_galtiyan