मैं ठोकरें खाकर लौट आया हूँ, चल था बनने सोना पर- खाक बनकर लौट आया हूँ, मैं चला था झोले खुशीयों के भरने, लेकिन गम समेट कर लौट आया हूँ... !!"Full read in caption"!! Guru virk ✍©️ मैं ठोकरें खाकर लौट आया हूँ, चल था बनने सोना पर- खाक बनकर लौट आया हूँ, मैं चला था झोले खुशीयों के भरने, लेकिन गम समेट कर लौट आया हूँ, मैं चला था पथरों के शहर में- काँच का महल बनाने,