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उभर ना जाए ईस दिल के, मचलते हूए जज़बात कहीं ...;

उभर ना जाए ईस दिल के, मचलते हूए 
जज़बात कहीं ...;
कि ये मौत ही तो है बे~नकाब, ज़िंदगी 
तो नहीं....।
उफ़, रोना हमारा ईस बे~नकाबी से नहीं...;
पर, ज़ी सकेंगे ईस ज़िदगी को इतनी बे~सब्री 
से नहीं....।। ..... BY... :~ K.K.SIR
             ~MELODY MUSIC CLASSES

उभर ना जाए ईस दिल के, मचलते हूए जज़बात कहीं ...; कि ये मौत ही तो है बे~नकाब, ज़िंदगी तो नहीं....। उफ़, रोना हमारा ईस बे~नकाबी से नहीं...; पर, ज़ी सकेंगे ईस ज़िदगी को इतनी बे~सब्री से नहीं....।। ..... BY... :~ K.K.SIR ~MELODY MUSIC CLASSES

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