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**यहाँ जीवन जीकर सभी को मरना हैं। दो वक्त की रोटी

**यहाँ जीवन जीकर सभी को मरना हैं।
दो वक्त की रोटी से अपना पेट भरना हैं।
फिर तकलीफों से क्यों डरता है जमाना।
भला निराश होकर भी क्या करना हैं।**
**यहाँ जीवन जीकर सभी को मरना हैं।
दो वक्त की रोटी से अपना पेट भरना हैं।
फिर तकलीफों से क्यों डरता है जमाना।
भला निराश होकर भी क्या करना हैं।**