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मेरी माँ। प्रश्न-कैसी हैं तुम्हारी माँ? उत्तर- ए

मेरी माँ।

प्रश्न-कैसी हैं तुम्हारी माँ?

उत्तर- एक मुस्कान सी, एक महफ़िल सी, ठंड में रजाई सी, और बरसात में धूप सी, मेरे लिखे हुए पन्नों में स्याही सी, कुछ टूटे हुए जज़्बात सी, मेरे जुनून सी, मेरे हर दर्द में मरहम सी, अंधेरे में उजाले सी, मेरे सच होते हुए सपने सी, मुझे मिलती हुई कामयाबी सी, मेरे जिस्म पर मेरे लिबाज सी, असफलता में एक आस सी, मेरे ऊपर मौजूद एक छत सी, भूख में निवाले सी, खेतों में चलते हुए कदमों के लिए एक पगडंडि सी, हर गलती की डांट सी, हर रात की नींद सी या कहूँ तो एक गुनगुनाती लोरी सी, मेरी कलम सी या जज्बातों में बिखरे अल्फ़ाज़ सी, मेरे सपनों के लिए एक कुर्बानी सी, कुछ महीनों के दर्द सी, मुझे पुचकारती एक सुकून सी, मुझे आँचल में समेटती मेरी जिंदगी सी, या कुछ निशब्द सी बस ऐसे ही मुस्कराती प्यारी सी, मेरे शरीर में रूह सी और शैया पर आखिरी सांस सी, इस जिंदगी में बिताये हर वक़्त सी, मुझमें ही रिक्त सी बस हर किताब के पन्ने सी या कहूँ तो मेरी माँ मेरी कहानी की शुरुआत सी और मुझमें ही अंत सी है। #maa #mother #ink #writer #poet #poetry #love #life #thought #quote
मेरी माँ।

प्रश्न-कैसी हैं तुम्हारी माँ?

उत्तर- एक मुस्कान सी, एक महफ़िल सी, ठंड में रजाई सी, और बरसात में धूप सी, मेरे लिखे हुए पन्नों में स्याही सी, कुछ टूटे हुए जज़्बात सी, मेरे जुनून सी, मेरे हर दर्द में मरहम सी, अंधेरे में उजाले सी, मेरे सच होते हुए सपने सी, मुझे मिलती हुई कामयाबी सी, मेरे जिस्म पर मेरे लिबाज सी, असफलता में एक आस सी, मेरे ऊपर मौजूद एक छत सी, भूख में निवाले सी, खेतों में चलते हुए कदमों के लिए एक पगडंडि सी, हर गलती की डांट सी, हर रात की नींद सी या कहूँ तो एक गुनगुनाती लोरी सी, मेरी कलम सी या जज्बातों में बिखरे अल्फ़ाज़ सी, मेरे सपनों के लिए एक कुर्बानी सी, कुछ महीनों के दर्द सी, मुझे पुचकारती एक सुकून सी, मुझे आँचल में समेटती मेरी जिंदगी सी, या कुछ निशब्द सी बस ऐसे ही मुस्कराती प्यारी सी, मेरे शरीर में रूह सी और शैया पर आखिरी सांस सी, इस जिंदगी में बिताये हर वक़्त सी, मुझमें ही रिक्त सी बस हर किताब के पन्ने सी या कहूँ तो मेरी माँ मेरी कहानी की शुरुआत सी और मुझमें ही अंत सी है। #maa #mother #ink #writer #poet #poetry #love #life #thought #quote