ले चलो - ले चलो मुझको उस ठांव पे इक नदी अपने सागर से मिलती जहाँ ले चलो, ले चलो मुझको साथी वहाँ हो जहाँ भोर हँसती सी, खिलती हुई शाम बीते जहाँ निर्झरों के निकट चाँदनी में नहाई हुई रात हो और नगरी बुलावे नही हो प्रकट शोर शहरों का कानों में पड़ न सके ले चलो - ले चलो, मुझको उस ठाव पे या वहाँ ले चलो, मुझको तुम कि जहाँ मेघ पर्वत को झुक करके हो चूमते थपथपाती हो जंगल को अल्हड़ हवा देवदार हो मगन नाचते - झूमते जल के दर्पण में हम और प्यारे दिखे ले चलो - ले चलो, मुझको उस ठाव पे मुझको ले कर चलो तुम किसी बाग में तितलियां आ के कंधे पे बैठे जहाँ फूल मुस्काते हो, भवरे भी गाते हो ले चलो ले चलो मुझको साथी वहाँ शांत - सुंदर सड़क पे तुम और मैं ले चलो - ले चलो मुझको उस ठाव पे ©Manaswin_Manu #nojotohindi #Travel #wanderlust #You #love #Intzaar #इंतज़ार #nature