I learned आंखो की पलकों तले जो आंसु की बूंदे थी, आंखो की पलकों तले जो आंसु की बूंदे थी। मानो वो दर्द की नहीं औस की बूंदे थी। रात की खामोशी के साथ आंखो में पनपी थी। जस्बा था दिल में कुछ कर दिखाने का, वो जिंदगी के घने अंधेरे के साथ मानो जैसे पलकों तले दम तोड़ चुका था। पर हां अब भी एक उमिद जिंदा हे। मां के सपनों के लिए मेरे अपनों के लिए। आज भी दिल में धड़कने जिंदा है।