धुआँ धुआँ सा हर तरफ, न रास्ता न राही दिखाई पड़ता है, इस सुनसान जगह में तू क्यूँ खुद को आज़माई फिरता है!! इस खामोशी में दब गई मेरी खुद की चीखें, बहरी हुई मैं,अब कुछ नहीं सुनाई पड़ता है!! धुंध ये आँखों में बसी या अंधेरा ज़िंदगी पर छाया, न कोई अपना यहाँ, हर कोई कश्ती डुबाई फिरता है!! हम भी तो वही हैं,अजी छोड़िये, क्या फिक्र करें हर कोई अब ठोकर खाई फिरता है!! ये जो लिख गए हैं नाम अपने इन वीरान राहों में, कौन अब ये पुरानी लिखाई पढ़ता है!! -दिव्या पाठक उम्मीद है, समझेंगे आप!! #dvdp #nojoto #nojotohindi #nojotopoetry #divya