Note to Myself कहते होंगे आप अपने चाहने वालों को मंदिर की मूरत हम अपनी सनम को साइबो कहते हैं खत्म कर देते अपने प्यार को अपने हाथों से क्योंकि नागफनी को हम कलश में नहीं रखते हैं ,,यही अंदाज है मेरे जिंदगी जीने का की हम दिल से नहीं जिद पे जीतेहै नहीं ढूंढ पाते हम जैसे शख्स अपनी भीतर की लए हम जैसे शख्स ही धीमी मौत मरते हैं ,,चमकते रहते सारे सितारे ताउम्र मगर हम वो सितारे हैं जो टूटने पर ही चमकते हैं जब से टूटा हूं खुद को तराश ना पाया कोशिशें बहुत की लेकिन मेरा मैं खुद में ना आया जितना तड़पा तेरा साथ छूटने से साहिब उससे ज्यादा कहीं तेरी यादों ने मुझे रुलाया क्यों मरना चाहता मैं किस्तों में जिंदगी यह मसला मुझे अब तक समझ ना आया ,, ✍️R.N