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मांगने वाले का सर ऊँचा देने वाले का सर झुका होता ह

मांगने वाले का सर ऊँचा देने वाले का सर झुका होता है 
कन्यादान इकलौता ऐसा दान होता है 

वेच देता है माँ जैसी जमीं को अपनी बेटी की शादी में 
कमी ना रह जाये शादी में कोई हर पल ये डर उसकी जान लेता है 

रस्मे सभी निभाता है वो शादी के बाद की 
कभी तीज तो कभी चौथ के उपहार देता है 

खुद कदमों से तय करता है मीलो का सफ़र मगर 
बेटी की ख़ुशी के लिए दहेज में कार देता है 

निकाल कर सीने से अपनी जान देता है 
क्या गुजरती है उस पिता पर जो कन्यादान देता है
मांगने वाले का सर ऊँचा देने वाले का सर झुका होता है 
कन्यादान इकलौता ऐसा दान होता है 

वेच देता है माँ जैसी जमीं को अपनी बेटी की शादी में 
कमी ना रह जाये शादी में कोई हर पल ये डर उसकी जान लेता है 

रस्मे सभी निभाता है वो शादी के बाद की 
कभी तीज तो कभी चौथ के उपहार देता है 

खुद कदमों से तय करता है मीलो का सफ़र मगर 
बेटी की ख़ुशी के लिए दहेज में कार देता है 

निकाल कर सीने से अपनी जान देता है 
क्या गुजरती है उस पिता पर जो कन्यादान देता है
poojarajput5886

Pooja Rajput

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