बिखरे काँच की तासीर बनकर वक़त चुभ रहा है हथेलियाँ बेज़ान सी आसमान देखती हैं ना पैरों का पता है ना साँसों की ख़बर है करवाटों का कारवाँ अज़ाब बन गया है सौ बार टूट कर मैं हर बार जुड़ा हूँ इस से पहले भी मैंने तुमसे प्यार किया है इस से पहले भी मैंने तुमसे नफरत की है #सौ_बार #tassavuf #mera_aks_paraya_tha