काश तेरे तकिये का कवर होता तेरी खुली जुल्फों के नीचे होता बाहों के आकोश में लेती तू मुझको जब तेरे होठों का चुम्बन मुझे भी लगा होता काश तेरे तकिये का कवर होता..... दिली ख्वाईश