कच्चे रास्तो से टूट कर , जैसे कई पगडंडी निकलती हैं साखों से फुटकर एक मासूम-सी , कली निकलती हैं इस उम्र के एक पड़ाव तक , हमें कुछ समझ में नहीं आता है एक उम्र के पड़ाव में फिर से , वो गलती सही निकलती है अगर कोई सिरी भी अपनी हाथों के लकीरों में होती तो तो यूहीं किसी फरहाद के हाथों मंज़िल न निकलती जहां से छुप कर गुजरने थे , हमें वो कुछ पल वहीं से बिछड़ कर फिर , एक सदी निकलती हैं ©Shivanay #L♥️ve ife #pagalpa #sukun #jindgi #Travel