लाखो दीवानों ने गर्दन कटवाई थी सच कहता हूं तब आजादी आयी थी सबसे पहले ऋषि ने पावक सुलगाई थी सबने ज्योति दयाननद से पाई थी सच कहता हूं तब ही आजादी आई थी