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शरीर और आत्मा ---------------------- तेरा मेरा सा

शरीर और आत्मा 
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तेरा मेरा साथ प्रियतमा ,जैसे एक नदिया , सुदृढ़ किनारा ,
जब भी कभी आईं राह-अड़चनें,हम आपस मे बने सहारा,
ऐसी ही तुम बहते रहना, कहीं तीव्र,कहीं मंद वेग से,
जिस सिंधु से मिलन है नियति,व्यापक है पर मन से खारा।।
पुष्पेन्द्र'पंकज'

©Pushpendra Pankaj
  शरीर और आत्मा
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शरीर और आत्मा --------------------- #कविता

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