धर हथेली चप्पल, सर में है घमेला.... खेतो की ओर चली देखो, गाँव की महिला.... कई दिन बित गए, बिना स्पर्श कीए जमीन.... देख दिहाती शहरी बोले, हम तो है अमीर.... नई सोच है यारों, नई सोच दिखलाए, शहरों की अमीरी चलो नैका में बहाए.... आवो फिरसे गाँव बनाए.... #Poetry आवो फिरसे गाँव बनाए....