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लौ पे उतर रही होगी, फुलझड़ी तुम तो बिखर गई होंगी।

लौ पे उतर रही होगी,

फुलझड़ी तुम तो बिखर गई होंगी।

ऐब -ए -रोशनी मलती हो क्या,

तुम शर्मीली हो क्या।। फुलझड़ी
लौ पे उतर रही होगी,

फुलझड़ी तुम तो बिखर गई होंगी।

ऐब -ए -रोशनी मलती हो क्या,

तुम शर्मीली हो क्या।। फुलझड़ी

फुलझड़ी