दिखी अधनंग लिबास में, तट पर नाहती नार, काम देह में उत्पन्न हुआ, टूटा मुनि व्रत छार, मस्तिश्क-इन्द्रियों के बीछ में, खूब मचा फिर रार , जो जीता वो सिद्ध पुरुष हुआ , जो हारा वो लाचार।। दोहा।।