हमने सोचा नही था, आँसु मेँ डुबेगा लम्हा खुशी का कैसे ये सिलसिले हैँ , पास है फिर भी बहुत फासले हैँ, क्योँ है ये तन्हाईयाँ, जाने क्यो सूना सा है जहाँ, दिन जैसे रात है, जाने क्या बात है,, रुठा हुआ है हमसे ये समाँ, जो पहले थी अब नही है हवायेँ, जाने क्या हो गया है,, क्योँ है ये खामोशीयाँ, जाने क्योँ ठहरी है जबाँ, जाने क्या हो गया है,, क्योँ है ये मजबुरीयाँ, जाने क्यो बेबस है हम यहाँ, जाने क्या हो गया है, जाने क्या हो गया है,, हमने सोचा नही था, आँसु मेँ डुबेगा लम्हा खुशी का कैसे ये सिलसिले हैँ , पास है फिर भी बहुत फासले हैँ, क्योँ है ये तन्हाईयाँ, जाने क्यो सूना सा है जहाँ, दिन जैसे रात है, जाने क्या बात है,,