कुछ तो कला के कद्रदान कम हैं। आजकल वक्त हमपे मेहरबान कम है॥ हैं दर्द बहुत,जख्म गहरे अंधरूनी आँसू बहाये कैसे कोई सतह पर जख्मों के निशान कम हैं॥ किस्मत, दुआ, खुदा साथ देते कभी लोगों पर हमारे अहसान कम हैं। आते हैं लोग बड़ी मिन्नतों व मुश्किलौं से, full poem read in caption #NojotoQuote कुछ तो कला के कद्रदान कम हैं। आजकल वक्त हमपे मेहरबान कम है॥ हैं दर्द बहुत,जख्म गहरे अंधरूनी आँसू बहाये कैसे कोई सतह पर जख्मों के निशान कम हैं॥ किस्मत, दुआ, खुदा साथ देते कभी लोगों पर हमारे अहसान कम हैं। आते हैं लोग बड़ी मिन्नतों व मुश्किलौं से, कहते हैं घर में मेजबान कम हैं।