A poetry by me Preet Gaba Read It... "भगवान" A poetry by me preet gaba read it... "भगवान" पत्थर , पत्थर की मूरत, मूरत में भगवान कैसे देख लेता है इंसान... फूल , फूलों की माला, माला में कैसे आस्था जगा लेता है इंसान.... आटा, आटे का प्रसाद, प्रसाद को कैसे भगवान का चढ़ावा कह देता है इंसान...