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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हर

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
11 – पुनर्जन्म

डा० ह्युम वॉन एरिच जीवाणु-वैज्ञानिक हैं मुख्य रूप से। वैसे आज विज्ञान की अनेक शाखाएँ परस्पर उलझ गयी हैं। रसायन-विज्ञान और परमाणु-विज्ञान के बिना आज जीवाणु-विज्ञान में प्रगति नहीं की जा सकती। स्वभावत: डा० एरिच ने इन विज्ञान की शाखाओं में भी अच्छा अध्ययन किया है। उनका प्रयोग चल रहा है और उन्हें लगता है कि मनुष्य में आनुवंशिकता अंकित करने वाली जो प्रकृति की लिपि है, उसमें परिवर्तन करने की कुंजी सैद्धान्तिक रूप में उनके हाथ आ गयी है।

किंतु डा० एरिच अपनी शोध में आगे बढें, इससे पहले उनके सम्मुख एक नवीन समस्या आ खड़ी हुई है। उनका पाँच वर्ष का पुत्र कल शाम को सहसा एक विचित्र भाषा बोलने लगा। कठिनाई से डा० एरिच को पता लगा कि वह शुद्ध संस्कृत बोल रहा है। यह भी पता इसलिये लगा कि डाक्टर का सहकारी किसी काम से उनके पास घर पर आया था और वह संस्कृत जानता-समझता तो नहीं; किंतु इतना समझ सकता है कि यह संस्कृत-भाषा है।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 11 – पुनर्जन्म डा० ह्युम वॉन एरिच जीवाणु-वैज्ञानिक हैं मुख्य रूप से। वैसे आज विज्ञान की अनेक शाखाएँ परस्पर उलझ गयी हैं। रसायन-विज्ञान और परमाणु-विज्ञान के बिना आज जीवाणु-विज्ञान में प्रगति नहीं की जा सकती। स्वभावत: डा० एरिच ने इन विज्ञान की शाखाओं में भी अच्छा अध्ययन किया है। उनका प्रयोग चल रहा है और उन्हें लगता है कि मनुष्य में आनुवंशिकता अंकित करने वाली जो प्रकृति की लिपि है, उसमें परिवर्तन करने की कुंजी सैद्धान्तिक रूप में उनके हाथ आ गयी है। किंतु डा० एरिच अपनी शोध में आगे बढें, इससे पहले उनके सम्मुख एक नवीन समस्या आ खड़ी हुई है। उनका पाँच वर्ष का पुत्र कल शाम को सहसा एक विचित्र भाषा बोलने लगा। कठिनाई से डा० एरिच को पता लगा कि वह शुद्ध संस्कृत बोल रहा है। यह भी पता इसलिये लगा कि डाक्टर का सहकारी किसी काम से उनके पास घर पर आया था और वह संस्कृत जानता-समझता तो नहीं; किंतु इतना समझ सकता है कि यह संस्कृत-भाषा है।

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