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एक औरत झाड़ू-कटका करके यहाँ तक कि खुद को बेचकर भी अ

एक औरत झाड़ू-कटका करके
यहाँ तक कि खुद को बेचकर भी
अपने बच्चों को पाल लेगी

एक मर्द ऐसा बिलकुल नहीं करेगा ❓My Out of Box Thinking 
शायद इसलिए भाषा विज्ञान ने सभी ममतामयी (Womenly Characteristics) संज्ञाओं (Nouns) को स्त्रीलिंग(Feminine Gender) माना है।

यह सिर्फ व्याकरण(Grammer) की खूबसूरती भर नहीं है। 
तरीके से देखा जाए तो हम पाएंगे कि स्त्री को सिर्फ "एक मादा" के रूप में न देखकर बड़े आयाम में देख सकने की क्षमता (इंटेलेजेंस) कुदरत ने सिर्फ हम इंसानों को दी है... हमारे बीच रिश्ते बनते हैं, मानवजाति अपने आरंभिक काल मे हीं स्त्री और पुरूष के संबंध को प्रजनन-परिधि से बाहर ले जाकर पहले परिवार और फिर समाज का निर्माण करने में सफल हो चुकी थी। जैसे- पिता-पुत्री, माँ-बेटा, भाई-बहन, ... इत्यादि।

इनदोनों में से कोई भी किसी से किसी भी तरह कम या ज़्यादा नहीं हैं, स्त्री व पुरूष दोनों भिन्न हैं पर एकदूसरे के पूरक, दोनो एक दूसरे को पूरा करते हैं तो इसतरह स्त्री और पुरूष दोनों में से किसी ने भी एक दूसरे पर परजीवी बनकर निर्वाह नहीं किया बल्कि सहोपकारिता कर एक अदद समाज का निर्माण किया।
एक औरत झाड़ू-कटका करके
यहाँ तक कि खुद को बेचकर भी
अपने बच्चों को पाल लेगी

एक मर्द ऐसा बिलकुल नहीं करेगा ❓My Out of Box Thinking 
शायद इसलिए भाषा विज्ञान ने सभी ममतामयी (Womenly Characteristics) संज्ञाओं (Nouns) को स्त्रीलिंग(Feminine Gender) माना है।

यह सिर्फ व्याकरण(Grammer) की खूबसूरती भर नहीं है। 
तरीके से देखा जाए तो हम पाएंगे कि स्त्री को सिर्फ "एक मादा" के रूप में न देखकर बड़े आयाम में देख सकने की क्षमता (इंटेलेजेंस) कुदरत ने सिर्फ हम इंसानों को दी है... हमारे बीच रिश्ते बनते हैं, मानवजाति अपने आरंभिक काल मे हीं स्त्री और पुरूष के संबंध को प्रजनन-परिधि से बाहर ले जाकर पहले परिवार और फिर समाज का निर्माण करने में सफल हो चुकी थी। जैसे- पिता-पुत्री, माँ-बेटा, भाई-बहन, ... इत्यादि।

इनदोनों में से कोई भी किसी से किसी भी तरह कम या ज़्यादा नहीं हैं, स्त्री व पुरूष दोनों भिन्न हैं पर एकदूसरे के पूरक, दोनो एक दूसरे को पूरा करते हैं तो इसतरह स्त्री और पुरूष दोनों में से किसी ने भी एक दूसरे पर परजीवी बनकर निर्वाह नहीं किया बल्कि सहोपकारिता कर एक अदद समाज का निर्माण किया।
arsh1145292537229

Arsh

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❓My Out of Box Thinking शायद इसलिए भाषा विज्ञान ने सभी ममतामयी (Womenly Characteristics) संज्ञाओं (Nouns) को स्त्रीलिंग(Feminine Gender) माना है। यह सिर्फ व्याकरण(Grammer) की खूबसूरती भर नहीं है। तरीके से देखा जाए तो हम पाएंगे कि स्त्री को सिर्फ "एक मादा" के रूप में न देखकर बड़े आयाम में देख सकने की क्षमता (इंटेलेजेंस) कुदरत ने सिर्फ हम इंसानों को दी है... हमारे बीच रिश्ते बनते हैं, मानवजाति अपने आरंभिक काल मे हीं स्त्री और पुरूष के संबंध को प्रजनन-परिधि से बाहर ले जाकर पहले परिवार और फिर समाज का निर्माण करने में सफल हो चुकी थी। जैसे- पिता-पुत्री, माँ-बेटा, भाई-बहन, ... इत्यादि। इनदोनों में से कोई भी किसी से किसी भी तरह कम या ज़्यादा नहीं हैं, स्त्री व पुरूष दोनों भिन्न हैं पर एकदूसरे के पूरक, दोनो एक दूसरे को पूरा करते हैं तो इसतरह स्त्री और पुरूष दोनों में से किसी ने भी एक दूसरे पर परजीवी बनकर निर्वाह नहीं किया बल्कि सहोपकारिता कर एक अदद समाज का निर्माण किया। #Evolution #Woman #Culture #Religion #Mythology #Human #Man #humanrace #character #organic #Dependency #Civilisation #anthropology #womanely