जब नाम लिया उसका , तो तारे टूटने लगे थे ! कैद थे दिल के पिंजरे में , कुछ लफ्ज छूटने लगे थे ! पता नही ऐसा क्या खास था उसमे , मरने के बाद भी जब कोसा उसे ! तो बहिष्त के फरिश्ते भी रूठने लगे थे !! Prabh Ghai