भोर का पंछी "आजा़द है हम... तो क्यों न एक कदम,मंजिल की तरफ बढ़ाया जाए.. इस खुली हवा में,कुछ सुकूं के पल बिताया जाए.. आखिर आजा़द है हम... तो क्यों न इस शिक्षा से भरी दुनिया में... इन बंद किताबों को टटोला जाए... जो खुद से सवाल करती है... क्या आजा़द है हम... आसमान में पंख फैलाकर... पंछी की तरह आसमान की सैर की जाए... आखिर आजा़द है हम... तो कुछ खुद की सुनते हैं... और कुछ औरों को सुनाते हैं... अपनी कलम के जरिये... एक पैगाम पहुँचाते है .... #Azaad#hain#hum#