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मैं जेठ की तपती दुपहरी सा हूँ तू सावन सा बरस जा मु

मैं जेठ की तपती दुपहरी सा हूँ
तू सावन सा बरस जा मुझमें
मैं बंजर खलिहान सा कोई
तू हरी घास सा बिछ जा मुझमें...! #मेरी_जिंदगी
#विरोधी
#nojoto_hindi
मैं जेठ की तपती दुपहरी सा हूँ
तू सावन सा बरस जा मुझमें
मैं बंजर खलिहान सा कोई
तू हरी घास सा बिछ जा मुझमें...! #मेरी_जिंदगी
#विरोधी
#nojoto_hindi