तुझे एक टक निहारूँ और मोहब्बत में क्या रक्खा है, तू दूर कहीं दिख जा, फ़िर क़ुरबत में क्या रक्खा है... जो कुछ पल मिले, बेशक़ खुशनुमा थे, तुझे ख़ुद में जी लिया, जन्नत में क्या रक्खा है... तेरे आशिक़ों के समंदर में, मेरे नाम का जज़ीरा है, तस्वीर ही काफ़ी है, बाक़ी ज़रूरत में क्या रक्खा है... जो तू कह दे, मैं जाँ भी दे डालूँ, गुलामी ही मंज़ूर है, हुक़ूमत में क्या रक्खा है... सारी ज़िन्दगी तो मैंने ख़्वाबों में ही जी डाली, अब तू ही बोल हक़ीक़त में क्या रक्खा है... #NojotoQuote Asleep........... . . . Follow : @meri_amanat_ @e_brietas .