कुछ वक्त लगता है ख्वाहिशो को सजाने में अक्सर टूट जाती है ख्वाहिशे ही जमाने में ..... कुछ वक्त लगता है आंसुओ को छुपाने में पर अक्सर छलक जाती है दर्द के अफ़साने में ... कुछ वक्त लगता है रिश्तो को बनाने में पर उलझ जाते है रिश्ते गलतफहमी के खजाने में .... कुछ वक्त लगता है जख्मों को दिखाने में पर समझ नही पाते है की मरहम क्या है इस दवाखाने में ... चल चले फिर एकबार एक ऐसे मैखाने में जहाँ सकूं मिले दिल को जो ना हो किसी बहाने में ...