काँटे बिछे है इश्क की राह पे फूलों की तुम आस मत करना हमदर्द ही होते है बेदर्द यहाँ पे गैरों की तुम बात मत करना #स्नेहा_अग्रवाल #मैं अनबूझ पहेली