मैंने तेरे लिए क्या कुछ नहीं किया था मैंने तेरे लिए! ख़ुद को लूटा दिया था मैंने तेरे लिए! मायूस क्यों लग रही तू खुश नहीं क्यों अब! ज़हर ए जुदाई तो पिया था मैंने तेरे लिए! तुम्हारे नाम कर के ये ज़िन्दगानी अपनी! रोज़ इक मौत को जिया था मैंने तेरे लिए! हर नादानी ओ गलती पर आँख बंद रखा! अपने लबों को सिया था मैंने तेरे लिए! नाज़ था तेरे प्यार पर नादान थे हम जाँ! ज़माने को बैरी बना लिया था मैंने तेरे लिए! यहाँ पढ़ें.. 👇👇 क्या कुछ नहीं किया था मैंने तेरे लिए! ख़ुद को लूटा दिया था मैंने तेरे लिए! मायूस क्यों लग रही तू खुश नहीं क्यों अब! ज़हर ए जुदाई तो पिया था मैंने तेरे लिए!