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जीवन,कितना अजीब.. कितना विस्तृत,कितना संछेपित कोई

जीवन,कितना अजीब..
कितना विस्तृत,कितना संछेपित
कोई विचलित,कोई हर्षित
कोई जीवन में संकुचित
जीवन डगर पर चलता हर पथिक
कोई जीवन श्रम में थकित
देख जीवन के रंग हजार,,,
मन मेरा हो रहा विचलित
ईश्वर हैं जब सबके,,
तो क्युँ? हम सब 
अमीर-गरीब में विभाजित
मैंने देखा इस जग में,
सब के जीवन में संघर्ष अंकित
"चल चला चल"राही..
हम भी पथिक,जग भी पथिक
इस जग में हम सभी 
"अन्जानी राह के पथिक" #when#life#become#Critical# pooja negi# "गुमनाम" Suman Zaniyan Saurav Tiwari Varsha Singh Baghel(शिल्पी)
जीवन,कितना अजीब..
कितना विस्तृत,कितना संछेपित
कोई विचलित,कोई हर्षित
कोई जीवन में संकुचित
जीवन डगर पर चलता हर पथिक
कोई जीवन श्रम में थकित
देख जीवन के रंग हजार,,,
मन मेरा हो रहा विचलित
ईश्वर हैं जब सबके,,
तो क्युँ? हम सब 
अमीर-गरीब में विभाजित
मैंने देखा इस जग में,
सब के जीवन में संघर्ष अंकित
"चल चला चल"राही..
हम भी पथिक,जग भी पथिक
इस जग में हम सभी 
"अन्जानी राह के पथिक" #when#life#become#Critical# pooja negi# "गुमनाम" Suman Zaniyan Saurav Tiwari Varsha Singh Baghel(शिल्पी)

@Saurav Tiwari Varsha Singh Baghel(शिल्पी)">#when#Life#become#critical# pooja negi# "गुमनाम" Suman Zaniyan Saurav Tiwari Varsha Singh Baghel(शिल्पी) #शायरी