पांच अप्रैल क्या दिन था अनोखा भारत के हर कोने में जब जल उठा दीपो का मेला पटाखों की गूंज लिये था अम्बर भी कर रहा सवेरा चांद भी पूर्ण उदित हुआ था अन्धकार से लड़ रहा था अनेकता वाले भारत में वो एकता के भाव भर रहा था कहीं टॉर्च, कहीं मसाल जला था कोरोना से इन्सानियत बचाने को बहुत बड़ा संग्राम चला था ना छोटा, ना कोई बड़ा था अखण्ड भारत हूं कहलाने को पूरा हिन्दुस्तान खड़ा था। नीरज की कलम से.. #lockdown kavika /V upadhyay