एक ही कश्ती के दोनों ही मुसाफ़िर हैं, हम भी सफर में हैं, तुम भी सफर में हो, चाहत के समंदर में खामोशियों के नाव पर, हम भी लहर में हैं, तुम भी लहर में हो। -आशीष कुमार