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चेहरे को कुछ इस कदर सजा रखा है। इ

        चेहरे को कुछ इस कदर सजा रखा है।
         इक चाँद है जो जमीं पे बुला रखा है।
         
         ख्याल भर से महक उठती है सांसे मेरी।
         तेरी खुशबु को धड़कन में बसा रखा है।
         
         गुम ना हो जाये तेरी यादें इस शहर में।
         हर इक खत को दिल मे बसा रखा है।
         
         जुल्फों को कुछ ऐसे बिछा रखा है।
          शाम को आगोश में बिठा रखा है।
           
          निगाहे नीची यूँही ही नही रखते वो।
           कायनात को कयामत से बचा रखा है।
           
           गम को कम क्यों होने दे इश्क।
           जब दर्द को दवा बना रखा है।
            
           अब इंतहा ना लो इंतज़ार की।
            दिल को अरसे से फुसला कर रखा है।
            
           जब दांब पे लगा हो इश्क़।
           हारने दो दिल,सब लुटाकर, बस यही तो बचा कर रखा है।
        चेहरे को कुछ इस कदर सजा रखा है।
         इक चाँद है जो जमीं पे बुला रखा है।
         
         ख्याल भर से महक उठती है सांसे मेरी।
         तेरी खुशबु को धड़कन में बसा रखा है।
         
         गुम ना हो जाये तेरी यादें इस शहर में।
         हर इक खत को दिल मे बसा रखा है।
         
         जुल्फों को कुछ ऐसे बिछा रखा है।
          शाम को आगोश में बिठा रखा है।
           
          निगाहे नीची यूँही ही नही रखते वो।
           कायनात को कयामत से बचा रखा है।
           
           गम को कम क्यों होने दे इश्क।
           जब दर्द को दवा बना रखा है।
            
           अब इंतहा ना लो इंतज़ार की।
            दिल को अरसे से फुसला कर रखा है।
            
           जब दांब पे लगा हो इश्क़।
           हारने दो दिल,सब लुटाकर, बस यही तो बचा कर रखा है।