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अग़र कहो तो तुम्हारा यहाँ हाल लिख़ दूँ, इस आलिशान मे

अग़र कहो तो तुम्हारा यहाँ हाल लिख़ दूँ,
इस आलिशान में भी तुम्हे यूँ बेहाल लिख़ दूँ,

थक गए हो अब इस चमकदारी से यूँ तुम कि,
तुम्हारे लिए सूकूँ का वो एक कच्चा मकाँ लिख दूँ,

क्यूँ तलाशते फ़िरते हो यहाँ सहारा ग़ैरों का अब,
मानो तो तुम्हे ख़ुद का एक मुक्मल ये जहाँ लिख़ दूँ,

जानते हो कोई नहीं आएगा अब ये दर्द तुम्हारा पूछने,
तो अग़र कहो तो तुम्हारे दर्द की तुम को दुआ लिख़ दूँ,

सबका साथ अब पा के देख लिया अब अकेले बेहतर,
तुम्हारे अकेलेपन में ज़रा सा हिस्सा क्या मैं अपना लिख़ दूँ !!


A.S
अग़र कहो तो तुम्हारा यहाँ हाल लिख़ दूँ,
इस आलिशान में भी तुम्हे यूँ बेहाल लिख़ दूँ,

थक गए हो अब इस चमकदारी से यूँ तुम कि,
तुम्हारे लिए सूकूँ का वो एक कच्चा मकाँ लिख दूँ,

क्यूँ तलाशते फ़िरते हो यहाँ सहारा ग़ैरों का अब,
मानो तो तुम्हे ख़ुद का एक मुक्मल ये जहाँ लिख़ दूँ,

जानते हो कोई नहीं आएगा अब ये दर्द तुम्हारा पूछने,
तो अग़र कहो तो तुम्हारे दर्द की तुम को दुआ लिख़ दूँ,

सबका साथ अब पा के देख लिया अब अकेले बेहतर,
तुम्हारे अकेलेपन में ज़रा सा हिस्सा क्या मैं अपना लिख़ दूँ !!


A.S
annusuthar8467

Annu Suthar

New Creator