न जोश में रखा है, न जवानी में रखा है। जो कुछ भी रखा है, वो रवानी में रखा है।। समुन्दर का जोर देखना है मुझे अब, कश्ती को मैंने मौज़ तूफ़ानी में रखा है।। मैं खुद को खो दिया था तेरे वजूद में, मैंने पकड़ के अक्स निशानी में रखा है।। इधर कहाँ ढूंढते हो बचपन ऐ दोस्तों....! वो तो गाँव में दादी की कहानी में रखा है।। ज़हीन बनके दोस्त, तुम क्या तीर मारोगे? असली मज़ा तो यार नादानी में रखा है।। #NojotoJaipur