जब तुम से मिलूँगा, तो पहले कुछ नहीं कहुँगा। बस तुम्हें देखता रहूँगा, सोच में डूबा पाऊँगा... कही मैं कोई सपना तो नही देख रहा? जब तुम सुनाओगी , चाँद के संग झुमके के किस्से होंगे । आँखों को लगी बरसों की प्यास को बुझा लेने दो ज़रा , ना जाने फ़िर कब मुलाकात होगी। इस वक़्त को कुछ पलों के लिए ठहर जाने दो ज़रा, ना जाने फ़िर कब मुलाक़ात होगी। ~इत्तु सा... इत्तु सा पैग़ाम मुलाकात के नाम। जब तुम से मिलूँगा, तो पहले कुछ नहीं कहुँगा। बस तुम्हें देखता रहूँगा, सोच में डूबा पाऊँगा... कही मैं कोई सपना तो नही देख रहा? जब तुम सुनाओगी ,