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"वो उजालों की तलबगार थी मैं अंधेरों का रहनुमा था,


"वो उजालों की तलबगार थी मैं अंधेरों का रहनुमा था,


उसे चाहने वाले बहुत थे मुझे मिटाने वाले बहुत।"......
.....@संजीव चौहान अधूरा अहसास

"वो उजालों की तलबगार थी मैं अंधेरों का रहनुमा था,


उसे चाहने वाले बहुत थे मुझे मिटाने वाले बहुत।"......
.....@संजीव चौहान अधूरा अहसास

अधूरा अहसास #Poetry