न आया समझ कि ये हक़ीक़त है या सपना, मन में अजीब सी, हलचल मचा कर चली गई … आई थी कुछ कहने, पर ना कह सकी शायद, बस दिल की बातें, दिल में छुपा कर चली गई … उससे मिलने से पहले भी तो, मैं बड़ा कन्फ्यूज था, वो बेमतलब ही ढेर सारी, उलझनें बढ़ा कर चली गई॥ i think my life