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यूं कहूं तो ये कहने की न बात थी, क्योंकि उनसे हमा

यूं कहूं तो ये कहने की न बात थी,

क्योंकि उनसे हमारी पहली मुलाकात थी।

कुछ लफ्ज तो फर्राटे में कह गए,

पर कुछ होठों में दबे रह गए,,

एक टक निहारते रहे हम उनको,

शायद सादगी उनके चेहरे की बिल्कुल साफ थी।।

शर्मीली नजरों से जब देखा उन्होंने,

हम उनकी मासूमियत पर मर मिटे,,

बस सुध अपनी खो बैठे हम,

सर हमारा उनकी अदायगी पर जा झुके।

दिल हमारा भी बाग_बाग हो रहा था,

जब तक वो हमारे पास थी।।

लालसा उनसे इश्क़ की मन में जगने लगी,

धड़कनें भी रफ्तार पकड़ने लगी।

जपने लगे माला उनके नाम की,

दरअसल ये खूबसूरत इश्क़ की बस शुरुआत थी।।

WRITTEN BY(संतोष वर्मा) आजमगढ़ वाले
खुद की ज़ुबानी.... कुछ बात...
यूं कहूं तो ये कहने की न बात थी,

क्योंकि उनसे हमारी पहली मुलाकात थी।

कुछ लफ्ज तो फर्राटे में कह गए,

पर कुछ होठों में दबे रह गए,,

एक टक निहारते रहे हम उनको,

शायद सादगी उनके चेहरे की बिल्कुल साफ थी।।

शर्मीली नजरों से जब देखा उन्होंने,

हम उनकी मासूमियत पर मर मिटे,,

बस सुध अपनी खो बैठे हम,

सर हमारा उनकी अदायगी पर जा झुके।

दिल हमारा भी बाग_बाग हो रहा था,

जब तक वो हमारे पास थी।।

लालसा उनसे इश्क़ की मन में जगने लगी,

धड़कनें भी रफ्तार पकड़ने लगी।

जपने लगे माला उनके नाम की,

दरअसल ये खूबसूरत इश्क़ की बस शुरुआत थी।।

WRITTEN BY(संतोष वर्मा) आजमगढ़ वाले
खुद की ज़ुबानी.... कुछ बात...

कुछ बात...