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एक दिन की बात थी,हमारी बेगम हमसे नाराज थीं। हमने

एक दिन की बात थी,हमारी बेगम हमसे नाराज थीं।

हमने सोचा चलो आज बक_बक से फुर्सत तो मिली,

तभी कड़कती आवाज आई,,

सुनो! आज का खाना तुम खुद बनाओ,

बेशर्मों की माफिक बैठो मत,

राशन_पानी फौरन खरीद लाओ।

हमने गौर से देखा..

मोहतरमा के चेहरे कुछ इस कदर बदल रहे थे,

टेढ़े से मेढ़े _गोरे से पीले,

फिर कुछ लाल हो रहे थे।

छन मन छन मन इधर से उधर,

तो कभी पैरों से कदमताल हो रहे थे।।

हमने बड़े प्यार से बोला..,

हे!रूप की मल्लिका ,

ये तुम क्या कर रही हो!,

बेवजह घर सर पर उठा रही हो!।

फिर क्या! लेना ना देना,

कालिका रूप धारण कर बोली,

तुम हो ही ऐसे,,

तुम केवल मेरा मूड खराब करते हो,

तुमसे होता कुछ नहीं बस बातों के नवाब बनते हो।।

हमने कहा हे! प्रिये..

अपना गुस्सा तुम थूंक दो,

मैं तुम्हारा हर कहना मानूंगा,

लो पानी पियो और ठंड रखो,

तूं है मेरी प्राण प्रिए,

आज से नारी शक्ति को जानूंगा।।

WRITTEN BY(संतोष वर्मा)आजमगढ़ वाले
खुद की ज़ुबानी.. हास्य कविता..हमारी बेगम से नोक झोंक
एक दिन की बात थी,हमारी बेगम हमसे नाराज थीं।

हमने सोचा चलो आज बक_बक से फुर्सत तो मिली,

तभी कड़कती आवाज आई,,

सुनो! आज का खाना तुम खुद बनाओ,

बेशर्मों की माफिक बैठो मत,

राशन_पानी फौरन खरीद लाओ।

हमने गौर से देखा..

मोहतरमा के चेहरे कुछ इस कदर बदल रहे थे,

टेढ़े से मेढ़े _गोरे से पीले,

फिर कुछ लाल हो रहे थे।

छन मन छन मन इधर से उधर,

तो कभी पैरों से कदमताल हो रहे थे।।

हमने बड़े प्यार से बोला..,

हे!रूप की मल्लिका ,

ये तुम क्या कर रही हो!,

बेवजह घर सर पर उठा रही हो!।

फिर क्या! लेना ना देना,

कालिका रूप धारण कर बोली,

तुम हो ही ऐसे,,

तुम केवल मेरा मूड खराब करते हो,

तुमसे होता कुछ नहीं बस बातों के नवाब बनते हो।।

हमने कहा हे! प्रिये..

अपना गुस्सा तुम थूंक दो,

मैं तुम्हारा हर कहना मानूंगा,

लो पानी पियो और ठंड रखो,

तूं है मेरी प्राण प्रिए,

आज से नारी शक्ति को जानूंगा।।

WRITTEN BY(संतोष वर्मा)आजमगढ़ वाले
खुद की ज़ुबानी.. हास्य कविता..हमारी बेगम से नोक झोंक
santoshverma4544

Santosh Verma

New Creator
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हास्य कविता..हमारी बेगम से नोक झोंक