।।गुरु पूर्णिमा।। गुरु जगत में है गुरु ,लघु सारा संसार , वह निर्माता नींव का ,शिक्षा का आधार l ..... मां-भगिनी-पितु-भ्रात का,शिक्षक धरता रूप, खोट हरै, मूरत गड़ै ,....करता दूर विकार l .... प्रथम दिवस रोता शिशु ,विद्यालय में आए , मां बनकर सिखला रहा ,करता उसे दुलार l .. .. पितु सम उसे सराहता, भरने नई उड़ान , सद-संस्कृति-संयोग से ,सिखलाए संस्कार l ...... आज निरंतर खो रहा ,गुरु अपना सम्मान, स्वारथ-वश हो खे रहा ,जल-बिच नौका चारl ( जिन्हौने भी लिखा उनहें नमन) #Gurupurnima यह मैनें नहीं लिखा हमें अच्छा लगा तो आप से साझा कर रहा हूँ