और मेरा मन बैठे जा रहा था टाइम तो अपना काम कर रहा था आगे बढ़े ही जा रहा था लेकिन ये दिल तो वहीं ठेहरा हुआ था एक सवाल ने मुझे उलझा रखा था और जवाब के ख्वाहिश ने मुझे सोने नहीं दिया था एक एहेसास था मिठास किसने अपना दिल खोल रखा था और मेरी हा की शायद ओ रहा देख रहा था मेरे आंखों में ओ बसा था लेकिन इस हातो में किसी और की मेहेदी लगी थी एक रात में सब कुछ बदलने वाला था मेरे खुशियों की चाबी मेरे पास थी लेकिन में उस कुलूप को खोल नहीं सकती थी क्यूकी में दो घरों का कुलूप (इजत) बन गई थी।