पढ़ता नहीं है कोई भी जिसको , मैं अख़बार की वो ख़बर हो गया हूँ । मौत तक जिसको खाने से आती नहीं है, मैं नकली सा कोई ज़हर हो गया हूँ । किसी दर पे ठोकर भी मिलती नहीं, मैं इस कदर बेकदर हो गया हूँ । खाली पड़े हैं, जिसके मोहल्ले मैं उजड़ा हुआ वो शहर हो गया हूँ । ज़माने को मुझसे क्या तक़लीफ है? मैं कौन सा अब कहर हो गया हूँ ? नहीं फर्क पड़ता किसी बात का हर एक बात से बेफिकर हो गया हूँ । #poetry #poem #life #befikar #shayari #quotes #nojoto