किसे सुनाऊं मैं अपनी कहानी , हुई बारिश पर बरसा ना पानी , मेरी पहचान अब मुझसे दूर है , तेरे नाम से धड़कन मशहूर है , पतझड़ का मौसम जो टूटे हैं पत्ते दिल भी निभा रहा ये रीत पुरानी किसे सुनाऊं..............ना पानी । खिलती है छाया खिलती है धुप , ऐसे ही तुने बदला था रूप , सदियों से तेरा ही होना मैं चाहया - पर मेरी चाहत ना हुई पुरानी किसे सुनाऊं..............ना पानी । चलता अकेला हूं कोई मेरा सफर नहीं , मंजिल क्या ढुंढे केरापा खुद की खबर नहीं , गुफ्तगु यु खुद से हुई जो सांसे भी लगती है मुझको अनजानी किसे सुनाऊं..............ना पानी । गीतकार - सुनसा केरापा #THARA_BHAI_KERAPA #ektarfapyar किसे सुनाऊं मैं अपनी कहानी , हुई बारिश पर बरसा ना पानी मेरी पहचान अब मुझसे दूर है ,तेरे नाम से मेरी धड़कन मशहूर है , पतझड़ का मौसम जो टूटे हैं पत्ते - दिल भी निभा रहा ये रीत पुरानी किसे सुनाऊं.........................................................ना पानी ।