नाहक ही तुमको दोषी कहता, मैं स्वयं दोषमुक्त कब रह पाया। तुममें तो मैंनें सीता ढूंढी, पर मैं स्वयं राम कब रह पाया।। ——ansh vardhan singh gender equality/ true love/ideal love