मन रोज होता है बात करने का तुमसे फिर भी एहसास दूरी का पाना चाहता हूँ, हर पल रहता हूँ तेरे ख़यालो में जिऊँ कुछ पल उनके बग़ैर भी जिंदगी का कुछ ऐसा फ़साना चाहता हूँ, कम न हो जाए मोहब्बत तुमसे कभी बात न करने का किसी और से ढूँढता बहाना रहता हूँ, बेशक ख़ुदा ने लिखा नही मेरी किस्मत में तुम्हें फिर भी पाने को दुआओं में जिक्र तेरा हर बार करता हूँ, माँगने को तुम्हें टूटे कोई तारा हर शाम इंतजार करता हूँ , चाहतों में अपनी अब भी सिर्फ तुम्हें ही शुमार करता हूँ तू रहे या ना रहे संग मेरे इश्क़ तुमसे ही बेशुमार करता हूँ मन #रोज होता है बात करने का तुमसे फिर भी एहसास दूरी का पाना चाहता हूँ, हर पल रहूँ तेरे ख़यालो में जीऊँ कुछ पल उनके बग़ैर भी #जिंदगी का कुछ ऐसा #फ़साना चाहता हूँ, कम न हो जाए #मोहब्बत तुमसे कभी