भटकते हुए यूँ ही रातो में हम सुबह कर लेते है भला गुजरी यादो से हर रोज जो सुलह कर लेते है अभी और भागना है दूर हकीकत से हमे 'काफ़िर' तभी तो मुसाफिर होकर भी रास्तो पे शुबह कर लेते है #काफ़िर