मैं तुम्हें फिर मिलूंगी कब कहां किस जगह पता नहीं शायद इस ज़िन्दगी से परे किसी ज़िन्दगी में शायद उस ख़ुदा से तुम्हारी बंदगी में तुम्हारी बीती ज़िन्दगी के किस्सों में तुम्हारे अधूरे पन के उन हिस्सों में मैं तुम्हें फिर मिलूंगी कब कहां किस जगह पता नहीं शायद कभी कहीं किसी और जनम में शायद तुम्हारे खयालों के सिर्फ भरम में मैं तुम्हें फिर मिलूंगी कब कहां किस जगह पता नहीं । #originalpoetrybyamritapritam #metumhephirmilungi #hindi #youme #lovetales #feelings #love #shortpoem